अगस्त २०१२ में डॉ. कलाम और मैं, एक स्कूल के दौरे पर महाराष्ट्र के हरली गाँव पहुँचे । उस दिन काफी गर्मी थी और उमस भरा मौसम था। वहां मौजूद भीड़ बेचैन हो रही थे।
जब डॉ. कलाम मंच पर पहुँचे तो भीड़ शांत हो गई। उन्होंने मौसम की हालत देखते हुए अपना भाषण संक्षिप्त रखने का निर्णय लिया। अचानक मैंने भीड़ के बीच हलचल देखी। कुछ पुलिसवाले एक दुबली-पतली महिला को अंदर घुसने से रोक रहे थे। वह लगातार कहती जा रही थी, ” डॉ. कलम से मिलना हैं !” उस महिला के साथ एक लड़का भी है, जिसकी उम्र १६ रही होगी। उसके पैर पोलियो के कारण प्रभावित थे, जिसकी वजह से वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता था। इसलिए उसकी माँ उसे नवजात शिशु की भांति गोद में लेकर आई थी। जब मैंने उन्हें मंच के बगल में आने का इशारा किया, तब उसने कहा, “मेरा बेटा महामहिम से मिलना चाहता है ।” मैंने कुछ देर इंतज़ार करने को कहा, जब तक डॉ. कलाम भाषण ख़त्म नहीं कर लेते।
जब डॉ. कलाम का भाषण ख़त्म हुआ, तब मैंने उन्हें उस महिला के बारे में बताया। उन्होंने तुरंत दोनों को मंच पर बुला लिया ।
उस बच्चे ने अपनी बात शुरू कि और अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए बोला, “सर. मेरा नाम शैलेश है। आपने सपनों के बारे में बात कि है, मैं यहाँ आपको अपने सपने के बारे में बताने आया हूँ। मैं शतरंज का खिलाड़ी हूँ। मैं कड़ी मेहनत से एक दिन मैं ग्रैंड मास्टर बनूँगा ।”
उसकी माँ ने कहा, ” हमें किसी तरह कि मदद नहीं चाहिए, केवल आपका आशीर्वाद लेने के लिए हम यहाँ आए हैं।” मेरा बेटा हमेश कहता रहता है, “अगर एक नांव चलाने वाले का बेटा राष्ट्रपति बन सकता है, तो तुम्हारा बेटा भी ग्रैंड मास्टर बन सकता है।”
डॉ. कलाम ने बच्चे के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ” तुम जरूर सफल बनोगे। इच्छाशक्ति के बल पर तुम किसी भी मुसीबत को हरा सकते हो, लेकिन जब तुम ग्रैंड मास्टर बन जाना, तो मझसे वादा करो कि तुम अपने इस सफर में अपनी माँ की भूमिका को कभी नहीं भुलाओगे, जिसने तुम्हारे सपने पूरा करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है।”
शैलेश ने सहमति में सर हिलाया। उसकी माँ की आँखों में आँसूं थे। बाद में उस शाम, जब हम लौट रहे थे, डॉ. कलाम ने इस घटना को याद किया। “क्या तुमने देखा कि माँ की साहस ने किस तरह बच्चे का सपना पूरा करने में मदद की? माँ का स्नेह ही वह ताकत है, जिसके बल पर वह अपने बड़े बच्चे के भार को भी आसानी से उठा सकी और यही ताकत उस बच्चे एक दिन ग्रांडमास्टर भी बना देगी ।”
” हर बच्चे को हर दिन एक काम जरूर करना चाहिए।”
“वह क्या?” मैंने पूछा।
“अपनी माँ के चेहरे पर मुस्कान लानी चाहिए। जब एक माँ मुस्कुराती है, तो पूरा परिवार मुस्कुराता है। जब परिवार मुस्कुराता है, तो देश खुश रहता है।”
As published in Dainik Jagran (National Edition) on 11 May 2019.
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