
प्लास्टिक प्रतिस्थापन के लिए सुनियोजित योजना की दरकार
सन १९०७ की बात है| ४३ वर्ष के लियो बैकलैंड ने फिनॉल और फॉर्मल डीहाइड नामक रसायनों पर प्रयोग करते करते एक नए पदार्थ की खोज कर डाली| उन्होंने दुनिया का पहला कम लागत का कृत्रिम रेसिन बनाया था जो आगे चलकर विश्व भर के बाजार में सफलतापूर्वक अपनी जगह बनाने वाला प्लास्टिक बन गया | इसके अविष्कारक के नाम पर ही इसका नाम बैकलाइट रखा गया | इस कहानी को और भी अच्छे से समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं |लियो बैकलैंड जो की बेल्जियम के नागरिक थे की कहानी भी प्रेरणादायक है | वो एक गरीब परिवार से